विचार यात्रा : मेरे बेटे के नाम आखिरी चिट्ठी-नाज़िम हिक़मत

Created on April 6, 2022

 

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श्रोताओं, सहकार रेडियो पर विचारों की यात्रा में सुनिए प्रसिद्ध कवि नाज़िम हिक़मत की कविता “मेरे बेटे के नाम आख़िरी चिट्ठी”। ये कविता हर परिस्थिति में इंसानियत को सर्वोपरि रखने की बात कहती है। आप सभी श्रोताओं से गुजारिश है कि इसे उन लोगों तक ज़रूर पहुचाइए, जो धर्म के नाम पर, मंदिर-मस्जिद या सुअर और गाय के नाम पर राजनीति की रोटियां सेंकते हैं, जिसका परिणाम ये होता है कि लोग हिंसक भीड़ में तब्दील होकर एक दूसरे के ख़ून के प्यासे हो जाते हैं। सुनिए ये कविता और इसका संदेश जन जन तक ले जाइए

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