विचार यात्रा – हम निजी सम्पत्ति के ख़िलाफ़ हैं/ मैक्सिम गोर्की
Created on November 16, 2022
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साथियो,
“विचार यात्रा” के आज के पड़ाव पर प्रस्तुत है मैक्सिम गोर्की के प्रसिद्द उपन्यास “माँ” का एक अंश| जिसमे उपन्यास का नायक “पावेल” कोर्ट में खड़े होकर पूंजीवादी समाज की उन तमाम समस्याओं की आलोचना करता है, जिनके कारण लोगों का जीवन नर्क बना दिया गया है| इसी के साथ वो समाजवादी व्यवस्था स्थापित करने की ज़रूरत पर भी बल देता है| आवाज़ है पवन सत्यार्थी की|
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