आहुति: प्रेमचंद
Created on March 24, 2020
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सहकार रेडियो पर हर रविवार को प्रसारित होने वाले साप्ताहिक कार्यक्रम “कहानियों का कारवां” में आज आप सुनेंगे मुंशी प्रेमचंद की कहानी “आहुति”| आवाज़ है साथी कृति बरनवाल की| साथियो यह कहानी स्वतंत्रता आन्दोलन के समय की पृष्ठभूमि पर आधारित है| लेकिन कई कारणों से आज भी उतनी ही प्रासंगिक है| कहानी में प्रेमचंद ने ये चिंता व्यक्त की है, कि अगर आजादी मिलने के बाद भी समाज की मूलभूत समस्याएँ जस की तस रहें तो ऐसी आज़ादी का क्या लाभ| यही नहीं, उन्होंने तत्कालीन अधिकांश युवाओं में देश-समाज के लिए चिंतित होने की बजाय डिग्री लेने की होड़ का चित्रण किया है, और ऐसे करियरवादी युवाओं के समक्ष कई सवाल खड़े किये हैं| वर्तमान में भी युवाओं में समाज की समस्याओं के प्रति संवेदनशील होने की बजाय डिग्री लेने की होड़ देखी जा सकती है| इन्ही सब बातों के इर्द-गिर्द घूमती है ये कहानी| इसे सुनिए और अधिक से अधिक लोगों को शेयर भी कीजिए|
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