इन्क़लाब ज़िन्दाबाद क्या है? :भगतसिंह व बी.के. दत्त
Created on August 14, 2020
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श्रोताओं इंक़लाब ज़िंदाबाद…
साथियो, शहीदे आज़म भगत सिंह व अन्य क्रांतिकारियों के लेखों और अन्य दस्तावेज़ों की श्रृंखला के तहत आज प्रस्तुत है वो पत्र, जिसमे भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने ”इंक़लाब ज़िंदाबाद” का मतलब स्पष्ट किया था।
इस पत्र के बारे में आपको बता दें कि एक बार लाहौर के स्पेशल मजिस्ट्रेट की अदालत में “इन्क़लाब ज़िन्दाबाद” नारा लगाने के जुर्म में छात्रों को गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके ख़िलाफ़ गुजराँवाला में नौजवान भारत सभा ने एक प्रस्ताव पारित किया। नौजवान भारत सभा भगत सिंह और उनके युवा क्रन्तिकारी साथियों का संगठन था। जब ये प्रस्ताव पास किया गया तो ‘मॉडर्न रिव्यू’ के सम्पादक रामानन्द चट्टोपाध्याय ने इस ख़बर के आधार पर “इन्क़लाब ज़िन्दाबाद” के नारे की आलोचना की। भगतसिंह और बी.के. दत्त ने ‘मॉडर्न रिव्यू’ के सम्पादक को उनके उस सम्पादकीय का उत्तर इसी पत्र में दिया था। ये पत्र और इसका परिचय हमने लिया है एक किताब से जिसका नाम है भगत सिंह और उनके साथियों के सम्पूर्ण उपलब्ध दस्तावेज”. इस किताब को राहुल फाउंडेशन लखनऊ ने छापा है, जिसके सम्पादक हैं सत्यम. आवाज़ है पवन सत्यार्थी की। तो सुनिए ”इंकलाब ज़िंदाबाद” नारे के बारे में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त के विचार..
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