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श्रोताओं नमस्कार,
सहकार रेडियो पर विचारों के सफर में आपका स्वागत है। साथियो वैसे तो ज़िंदगी और मौत के मायने बहुत ही साफ़ हैं। लेकिन ज़रा सोचिये मनुष्य समाज का एक अहम् हिस्सा, एक अहम् कड़ी होने के नाते क्या हमारे लिए ज़िंदा होने के वही मायने हैं? जो किसी पशु या अन्य जीव के होते हैं, या हमने यानी इंसानो ने अपने लिए ज़िंदा होने के कुछ अलग पैमाने बनाए हैं? आज हम विचार यात्रा में उन्ही पैमानो की बात करेंगे कवि उदय प्रकाश की एक बहु चर्चित कविता के माध्यम से, जिसका शीर्षक है ”मरना”। सुनिए ये कविता।

 

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