साम्प्रदायिकता और संस्कृति-प्रेमचंद
Created on April 14, 2015
श्रोताओं नमस्कार,
सहकार रेडियो पर आप सभी का स्वागत है। आज है 31 जुलाई यानी मुंशी प्रेमचंद का जन्मदिवस। तो क्यों न इस मौके पर उनके विचारों को आम जनमानस तक ले जाया जाए। आपको बता दें कि हम आपके लिए लाए हैं मुंशी प्रेमचंद पर आधारित साप्ताहिक कार्यक्रमो की श्रृंखला, जिसमे उनके लेख, कहानियां व उनसे संबंधित अन्य कार्यक्रम होंगे। आज आप सुनेंगे उनका प्रसिद्ध लेख “साम्प्रदायिकता और संस्कृति”। जिसमे उन्होंने संस्कृति के तथाकथित “रक्षकों” को फटकार लगाई है और यह बताया है कि वास्तव में साम्प्रदायिकता और संस्कृति का आपस मे कोई संबंध नहीं है। तो पूरे सप्ताह प्रसारित होने वाली इस श्रृंखला को खुद भी सुनिए और अन्य लोगों को भी शेयर कीजिए। ताकि प्रेमचंद के विचारों को जन जन तक फैलाया जा सके।इस लेख को अपनी आवाज़ दी है पवन सत्यार्थी ने। तो सुनिए ये लेख “साम्प्रदायिकता और संस्कृति”।
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कुछ कार्यक्रमों में ये विकल्प नहीं भी दिया जाएगा| जैसे “साक्षात्कार”, “किस्से क्रांतिकारियों के” , “आपके बोल” और बाल चौपाल के अंतर्गत “घुमक्कड़ों के किस्से” आदि| जिन्हें लिखा नहीं जाता सीधे प्रस्तुत किया जाता है|)
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