विचार यात्रा : व्यक्तिगत संपत्ति और धन संचय- प्रेमचन्द
Created on July 31, 2021
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श्रोताओं नमस्कार,
सहकार रेडियो पर आज की विचार यात्रा हम करेंगे मुंशी प्रेमचंद के विचारों के साथ, जो कि संपत्ति पर व्यक्तिगत मालिकाने की व्यवस्था के बारे में हैं| साथियो, तमाम विचारधाराएँ संपत्ति पर मालिकाने को अलग-अलग नज़रिए से देखती हैं| उन्ही में से एक विचारधारा जिसे मार्क्सवाद या वैज्ञानिक समाजवाद कहा जाता है, ये ऐसी विचारधारा है जो समाज की सारी समस्याओं की जड़ संपत्ति पर व्यक्तिगत मालिकाने को मानती है| और यह भी मानती है कि वर्तमान पूंजीवादी व्यवस्था की मुख्य चिंता ही यही है कि कैसे धन्नासेठों की तिजोरियां भरती रहें| यह वर्त्तमान व्यवस्था इस काम को किसी भी कीमत पर करती है| चाहे पर्यावरण को नुकसान हो, चाहे आम जनता दाने-दाने को मुहताज हो, युवा बेरोज़गारी से तंग आकर आत्महत्याएँ करते रहें, शिक्षा-स्वास्थ्य, पेयजल जैसी तमाम मूलभूत ज़रूरतों के अभाव में लोग कीड़े-मकोड़ों का जीवन जियें या तड़पकर मर ही क्यों न जाए, लेकिन देश की सरकारों और इस समूची पूंजीवादी व्यवस्था की पहली प्राथमिकता यही है कि इन धन्नासेठों और धनकुबेरों के मुनाफे की लूट निरंतर चलती रहे| और इसीलिए वो आपदा में भी मुनाफे की लूट के अवसर तलाश लेती है| आपको बता दें कि मुंशी प्रेमचंद भी यही मानते थे| प्रस्तुत हैं उनके पत्रों-लेखों, कहानियों और उपन्यासों से लिए गए कुछ उद्धरण|
आवाज़ है पवन सत्यार्थी की|
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